Murder or trap 2
मृदुल ने ना चाहते हुए उस लिफाफे को खोला तो तस्वीर को देखते ही चौंक गया.. और लिफाफा हाथ से छूट गया। जीप रास्ते पर दौड़ रही थी इसलिए अंदर हवा तेज थी। लिफाफे के साथ ही फोटो भी लगभग हाथ से छूटकर उड़ ही गई थी। बस इतनी गनीमत थी कि जीप से बाहर उड़कर नहीं गई थी। तस्वीर उड़कर जीप के सामने लगे कांच पर चिपक गई थी। मृदुल ने जल्दी से फोटो को कांच से उठाया और फिर से लिफाफे में डाल कर जीप के डैशबोर्ड में डाल दिया।
"क्या हुआ सर..!! है ना साक्षात रति की अवतार।" चिराग ने मजे लेने की गरज से कहा तो मृदुल ने उसे घूर कर देखा.. जिसपर चिराग जोर से हंस दिया और मृदुल का मुँह बन गया।
बात हो रही थी उस परम सुंदरी अनीता की..! वो अनीता भी कोई ऐसी वैसी सुंदरी नहीं थी। पहले फोटो के पीछे लिखी डिटेल्स पर चलते हैं।
पांच फुट दो इंच लंबाई, गेहुंआ रंग, गोल और चौड़ा चेहरा.. जिससे किसी अजीब सी शक़्ल वाले गुंडे का आभास होता था, भूरी आंखे.. जो देखने पर किसी शराबी की मालूम होती थी, होठों का रंग भी लाल था.. इतनी चटक लिपस्टिक लगाई हुई थी के शायद ही शरीफ घर की कोई औरत ऐसी लिपस्टिक लगाती होगी। फोटो में बहुत ही चमकीला और भड़कीला मेकअप किया हुआ था जिससे वो मेकअप की दुकान लग रही थी। चटकीले भड़कीले रंगों के काॅम्बिनेशन वाली साड़ी पहनी हुई थी और चेहरे पर मुस्कान थी जो बहुत ही भद्दी लग रही थी।
"क्या हुआ सर..?? देखा आपने ना तो ये औरत पढ़ी लिखी थी, ना ही खूबसूरत, ना अमीर और ना ही कोई ऐसी खूबी थी जिसे देखकर इतना अमीर, पावरफुल, स्मार्ट और इंटेलिजेंट आदमी खुद से जाकर उससे शादी की पेशकश करे। क्या कारण था कि दीप ने इससे अपनी पसंद से शादी की और तो और इसे घर की तिजोरी से पैसे चुराने की हिम्मत कैसे हुई?" चिराग अपनी थ्योरी पर खुश होते हुए अपनी बात मृदुल को बता रहा था।
यही बात तो मृदुल को भी अखर रही थी कि इस बेमेल शादी के पीछे वज़ह क्या रही थी? कुछ तो ऐसा था जिसकी कड़ियां उलझी हुई सी थी। मृदुल गहरी सोच में पड़ गया था फोटो को देखते ही।
जल्दी ही जीप पुलिस स्टेशन के बाहर खड़ी थी.. मृदुल थके से कदमों से अपने केबिन की तरफ चल दिया। वो किसी गहरी सोच में पड़ गया था।
"अपने नेटवर्क को फोटो भेजो.. और इसे ढूंढने के साथ ही साथ इसके बारें में पूरी जानकारी मुझे जल्द से जल्द चाहिए। चाहे इसके लिए सारे शहर के मुखबिर लगाने पड़े लेकिन मुझे डिटेल्स जल्दी चाहिए। और हाँ..!! एक बात और... " मृदुल ने चिराग से कहा।
"क्या..??" चिराग ने पूछा।
"इस फोटो की कॉपीज् करवा कर मुझे दे देना.. मैं कमिश्नर साहब से बोलकर सभी थानों में भिजवा दूँगा ताकि हेल्प मिल सके।" मृदुल ने ज़वाब दिया।
"बिल्कुल सर..!! जितनी जल्दी होगा डिटेल्स और फोटो की कॉपीज् आपकी टेबल पर होंगी।" ऐसा कहकर चिराग ने सैल्यूट किया और केबिन से बाहर निकल गया। उसके जाते ही मृदुल फिर से अपने ख्यालों में खो गया था।
मृदुल दीप की बताई बातों में कोई कनेक्शन ढूंढने की कोशिश कर रहा था लेकिन कोई भी कनेक्शन ही नहीं मिल रहा था। एक सिरा पकड़ में आता तो दूसरा सिरा छूट जाता था। काफी माथा पच्ची करने के बाद भी कुछ समझ नहीं आ रहा था कि दीप ने इतनी साधारण सी लड़की से अपनी ही पसंद से शादी क्यों की..? जबकि ना तो उसमे कोई खास काबिलियत थी और ना ही पैसा था। और तो और इतना सबकुछ होने के बाद भी दीप के हिसाब से वो भाग गई थी लेकिन उसकी बातों का मतलब क्या हो सकता था?? अनीता के पास भागने की कोई खास वजह भी नहीं समझ आ रही थी।
मृदुल परेशान था कि इस केस की इनवेस्टिगेशन स्टार्ट कहां से की जाए। मृदुल ने ज्यादा ना सोचते हुए कमिश्नर साहब को अनीता की फोटो वाट्स-एप की और दो ही मिनटों में उन्हें कॉल लगा दी।
"जय हिंद सर..!! इंस्पेक्टर मृदुल बात कर रहा हूं सर।"
"हाँ मृदुल बोलो..!!" सामने से आवाज आई।
"सर..!! दीप की वाइफ की फोटो शेयर की है.. आप एक बार देखेंगे।"
"वेट..!! ये किसकी फोटो भेजी है तुमनें..??" सामने से आने वाली आवाज़ में कन्फ्यूजन थी।
"दीप की वाइफ अनीता है सर।"
"इम्पोसिबल..!! ये दीप की वाइफ नहीं है..!" कमिश्नर साहब की आवाज़ आई।
"यही है सर..!! ये फोटो दीप ने ही मुझे दी थी आपके ऑफिस से निकलने के बाद हम सीधा दीप के घर गए थे.. तभी उस ने ये फोटो दी थी।" मृदुल ने बताया।
"ऐसा कैसे हो सकता है.. मैं मिला हूँ . दीप की वाइफ से.. दीप ने ही इंट्रोड्यूस करवाया था एंड आय एम श्योर कि ये वो नहीं है।" कमिश्नर साहब ने कहा।
"अगर ऐसा है तो सर ये केस सिम्पल पैसे लेकर प्रेमी के साथ भागने का तो नहीं हो सकता है। जरूर कोई और रीजन होगा.. मैं कल सभी के बयान लेने और दीप के घर की तलाशी लेने जाऊँगा।" मृदुल ने अपडेट देते हुए कहा।
"ओके मृदुल..!! बट टेक केयर ऑफ योर सेल्फ.. दीप काफी खतरनाक आदमी है.. उसे लगा कि तुम उसपर शक कर रहे हों तो तुम पर ही कोई मुसीबत ना आ जाए।" कमिश्नर सर ने कहा।
"मैं ध्यान रखूँगा सर। ओके सर… जय हिंद।" कहते हुए मृदुल ने फोन रख दिया।
कमिश्नर की बात से मृदुल के दिमाग की तो बैंड ही बज गई थी। अगर फोटो वाली अनीता थी तो कमिश्नर साहब से जो मिली वो कौन थी..?? और अगर वो अनीता थी तो दीप ने इसकी फोटो देकर इसकी कंप्लेंट क्यूँ लिखवाई थी??
शाम हो चली थी अभी तक मृदुल को केस सुलझाने की कोई कड़ी हाथ में नहीं आ रही थी। चिराग भी अभी तक कोई इन्फोर्मेशन नहीं निकाल पाया था। ऐसा मृदुल को इसलिए लगा था क्योंकि अगर किसी भी तरह की कोई बात चिराग को पता चलती तो अभी तक चिराग ने खुद आकर वो इन्फोर्मेशन मृदुल को दे दी होती और अगर नहीं आ पाता तो कॉल तो डेफिनेटली कर ही दिया होता।
मृदुल बाहर चाय की टपरी पर चाय पीने चला गया था।
वैसे कहा जाता है कि अगर आपको कोई भी जरूरी जानकारी चाहिए तो वहाँ के आसपास के चाय वाले, पान वाले या भिखारियों को पकड़ना चाहिए। बिल्कुल सटीक जानकारी और वो भी हर घटना का आँखों देखा हाल मिर्च मसाले के साथ सुनने को मिल जाता है। कई बार तो इतनी खुफिया जानकारी भी उनके पास से मिल सकती हैं के शायद जिसके बारे में वो जानकारी है उसको भी नहीं पता होता है कि उसके घर में ये सब भी कभी हुआ था।
मृदुल जब टपरी पर बैठा चाय पी रहा था तभी चिराग थके कदमों से चलते हुए टपरी पर आया और मृदुल के पास ही पड़े स्टूल पर बैठ गया।
"छोटू..!! एक चाय पिला दे भाई।" चिराग ने थकी हुई आवाज़ में कहा।
"दीप ने हमें जो फोटो दी है.. वो उसकी बीवी अनीता की नहीं है..!!" मृदुल ने चाय के ग्लास से एक घूंट चाय का पीते हुए कहा।
उसी वक्त चाय वाले ने चाय का ग्लास चिराग को पकड़ाया था.. ये सुनते ही चिराग को एकदम से शॉक लगा और गर्म चाय उसके हाथ पर छलक गई।
"क्या..??? आपको किसने कहा?? मेरा मतलब है कि आपको कैसे पता के वो दीप की पत्नी अनीता नहीं है??" चिराग ने अपने जले हुए हाथ पर फूंक मारते हुए पूछा।
"कमिश्नर साहब ने बताया.. वो मिले हैं दीप की वाइफ से और वो ये फोटो वाली नहीं थी या शायद ये भी हो सकता है कि ये फोटो वाली उसकी वाइफ हो और जिससे कमिश्नर साहब मिले थे वो कोई और हो।" मृदुल ने अपनी शंका व्यक्त की।
"यार ये दीप भी क्या आदमी है.. यहाँ हमें एक नहीं मिल रही और ये साहब दो दो को घुमा रहे हैं।" चिराग ने अपनी ही सिचुएशन का मज़ाक उड़ाते हुए कहा।
"शट अप चिराग..!! तुम्हें हर वक्त मज़ाक़ ही सूझता है क्या..??" बेवक्त का मज़ाक मृदुल को पसंद नहीं आया तो उसने चिराग को डांट दिया।
"अब यार तू यहाँ भी शुरू मत हो। मेरा सीनियर तू चौकी में है यहां नहीं.. आई बात समझ में। याद है ना कि हम चड्डी बड्डी है मेरी जान।" चिराग ने मृदुल के गाल खींचते हुए उसकी फिरकी ली।
"ओऐ..!! अभी भी हम थाने के सामने ही बैठे हैं.. आई बात भेजे में.. किसी ने ऐसे देखा तो क्या सोचेगा।" मृदुल ने थोड़ा मुस्कराते हुए कहा.. चिराग की बातों से मृदुल की थोड़ी टेंशन कम हो गई थी।
"अब सीरियसली बता कि दीप की वाइफ के बारे में कोई ख़बर मिली।" मृदुल ने चिराग का काम पर ध्यान वापस लाते हुए कहा।
"नहीं यार.. मेरे नेटवर्क के किसी भी आदमी को उसके बारे में कुछ पता नहीं है। पर एक बात बोलूं.. हम एक काम कर सकते है.. जो चौकीदार है ना उसकी सोसाइटी का.. उसने शायद देखा होगा.. वह बता सकता होगा। उसको बोतल में उतारना पड़ेगा या फिर आस पास कोई चाय या पानवाला होगा वही बता पाएगा। एक काम करते है.. कल सुबह सुबह जब दीप के घर उसके नौकरों का बयान लेने जाएंगे। तब एक चक्कर इधर-उधर लगाकर उसके बारे में पूछताछ करेंगे.. हो सकता है कोई उसे जानता हो।" चिराग ने सुझाव दिया।
"हम्म्म..! देखते हैं.. मेरे हिसाब से हम अभी से टेंशन लेने की जगह कल पहले सभी के बयान ले लें और उसके घर में तफ्तीश कर लें.. उसके बाद किसी नतीजे पर पहुंचेंगे।" मृदुल में अपनी चाय का कप खत्म करते हुए कहा।
"छोटू बेटा..! पैसे हिसाब में लिख लेना।" ऐसा कहकर चिराग ने भी अपना चाय का गिलास खाली करके नीचे रख दिया।
दोनों वहां से उठकर चले गए।
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अगली सुबह 9:00 बजे ही चिराग और मृदुल पुलिस जीप में दीप की सोसाइटी के मेन गेट के बाहर थे।
चिराग ने जीप के स्टेयरिंग पर तबला बजाते हुए पूछा, "एक बात बता.. हम अंदर क्यों नहीं जा रहे है??"
"हे भगवान..!! क्या करूं मैं इस आदमी का.. कल ही कहा था ना तुझे कि हम इस सोसाइटी के चौकीदार, आसपास के पान वाले और चाय वाले से बात करेंगे.. हो सकता है कोई जानकारी मिल जाए।"
चिराग कन्फ्यूज्ड सा मृदुल की तरफ देख रहा था।
"अरे हां.. हाँ.. पता है तूने कहा था.. तेरा ही आईडिया था.. अब ठीक है!!" मृदुल ने कहा।
"हां ठीक है.. ठीक है..!!" चिराग ने भी मुंह बनाते हुए जवाब दिया।
तभी उनकी नज़र सामने रखी एक चाय की टपरी पर गई.. उसी के पास एक पान वाले की दुकान भी थी।
चिराग और मृदुल ने पुलिस जीप साइड में लगाई और पान वाले के पास जाकर खड़े हो गए। उन्होंने पान वाले से दो सिगरेट ली और सिगरेट जला कर बातें करने लगे। आधी सिगरेट जलने के बाद मृदुल ने चिराग को इशारा किया।
चिराग ने एक नजर पान वाले की तरफ डाली.. पान वाला इस वक्त पान में चूना कत्था लगाने में बिजी था।
चिराग ने कहा, "भाई एक बात बताओ.. वह सामने सोसाइटी में होटल किंग दीप रहता है ना.. सुना है उसकी बीवी भाग गई।"
पान वाले के हाथ पान पर चूना लगाते हुए रुक गए। "क्या कह रहे हो भैया.. वह तो बड़ी सीधी औरत थी.. बिचारी गर्दन नीचे करके आती थी और गर्दन नीचे करके जाती थी। किसी भली औरत के बारे में ऐसी बातें करना शोभा नहीं देता। और कौन हो तुम.. जो ऐसी बातें कर रहे हो??" चिराग की बात सुनकर पान वाला थोड़ा गुस्से में दिखाई दे रहा था।
चिराग 1 मिनट के लिए सकपका गया था। "अरे नहीं भाई.. मेरे कहने का मतलब था कि मैंने सुना था।"
"यह गलत बातें मत सुना करो.. वैसे हो कौन तुम..??" पान वाले को अब चिराग खटकने लगा था।
मृदुल ने चिराग को इशारे से जवाब ना देने के लिए कहा और उसकी बात का जवाब खुद देने लगा।
"देखो भाई हम सिर्फ तुमसे जानना चाहते थे.. वैसे हम पुलिस में हैं और यह जो चिराग ने कहा है कि दीप की बीवी भाग गई.. यह कंप्लेंट उसी ने थाने आकर लिखवाई थी।" मृदुल ने पान वाले से कहा।
"और हां.. एक बात यह बात अगर हमने तेरे अलावा किसी और के मुंह से सुनी तो फिर तू सोच भी नहीं सकता हम तेरा करेंगे क्या..!" चिराग ने धमकाते हुए पान वाले को कहा।
"नहीं.. नहीं.. माई बाप..!! हम किसी को कुछ नहीं बताएंगे।" पानवाला एकदम से हाथ जोड़कर गिड़गिड़ाने लगा।
चिराग ने उससे पूछा, "तू दीप की बीवी के बारे में बात कर रहा था ना.. क्या बात कर रहा था उसके बारे में..??" फिर अपने फोन पर अनीता का फोटो पान वाले को दिखाया और पूछा, "यही है ना दीप की बीवी..?"
"जी साहब.. यही है..!!" पान वाले ने घबराते हुए जवाब दिया।
"अच्छा तू कैसे जानता है!!"
"साहब यह यहीं से रोज पैदल मंदिर जाती थी.. और पैदल ही आती थी।"
"तो फिर तुझे कैसे पता यह दीप की ही बीवी थी?"
"साहब मेरी बीवी पहले इन्हीं के घर में काम करती थी.. इसीलिए मैं जानता हूं कि यही दीप साहब की पत्नी है।" पान वाले ने खुलासा किया।
"अच्छा ऐसा हो सकता है कि यह उसकी बीवी ही ना हो..!!" चिराग ने फिर बात घुमाई।
"कैसी बातें करते हो साहब.. मैंने अभी तो बताया था कि मेरी बीवी इनके घर में काम करती थी।"
"अगर हमें अनीता जी के बारे में अगर कुछ पूछताछ करनी हो तो क्या तेरी बीवी से हम पूछताछ कर सकते हैं??" मृदुल ने जानना चाहा।
"जी साहब..! आप जब बोलेंगे तब मैं अपनी बीवी को लेकर थाने आ जाऊंगा।" पान वाले ने हाथ जोड़कर उनसे जल्दी पीछा छुड़ाने की गरज से कहा।
चिराग ने उन्हें अपने पुलिस स्टेशन के बारे में बताया कि उसको जरूरत पड़ने पर कहां आना था। फिर अपनी सिगरेट को जमीन पर डाला और पैर से मसलते हुए वापस बुझाकर जीप में जाकर बैठ गए।
इस बार वह लोग उस सोसाइटी की चौकीदार से पूछताछ करने वाले थे। उन्होंने जीप सोसाइटी के मेन गेट के एक साइड लगाई और पैदल ही चल कर उस सिक्योरिटी रूम में गए। उस समय दिन की ड्यूटी वाला गार्ड गेट पर मौजूद था।
चिराग ने अनीता की फोटो दिखाकर उससे पूछा, "इस औरत को जानते हो.. यह इस सोसाइटी में किस घर में रहती थी..??" चिराग ने पूछा।
गार्ड ने हड़बड़ाते हुए जवाब दिया, "क्यों साहब.. क्या हो गया..??"
"जितना पूछा है.. उतना जवाब दो। क्या तुम इसे जानते हो...??"
"जी साहब अंदर जो दीप साहब का बंगला है यह वही रहती थी। मैंने सुबह-सुबह इसे यहीं से मंदिर जाते हुए कई बार देखा था। वैसे साहब यह रोज ही सुबह मंदिर जाती है।"
"कितने बजे जाती है..??"
"साहब सुबह 8:00 बजे के आसपास जाती है.. पर दो-तीन दिन से यह दिखाई नहीं दी है। इसलिए मुझे नहीं पता कि यह आज किस टाइम गई होगी।" गार्ड ने उनकी बात का ज़वाब दिया।
"तुमने किसी को इनके साथ या इनको किसी के साथ बाहर आते जाते हुए देखा।" चिराग ने पूछा।
"नहीं सरकार... मैंने नहीं देखा। यह शुक्रवार को मंदिर से वापस आई थी उसके बाद बाहर की तरफ नहीं आई।" गार्ड ने अपने दिमाग पर जोर डालते हुए याद कर के जवाब दिया।
"ठीक है..! और कुछ याद आये तो हमें ख़बर कर देना।" चिराग ने गार्ड को अपना कार्ड देते हुए कहा।
"जी साहब..! कुछ भी और याद आया तो आपको जरूर बताऊँगा।" गार्ड ने सहमति में गर्दन हिलाकर ज़वाब दिया।
मृदुल ने जीप स्टार्ट की और चिराग भी आकर जीप में बैठ गया। फिर दोनों ही जीप में बैठकर दीप के घर की तरफ चले गए। पुलिस जीप को देखते ही दीप के घर के सिक्योरिटी गार्ड ने जल्दी से गेट खोल दिया। मृदुल ने जीप बंगले के अंदर जाकर एक तरफ रोक दी और दोनों ही जीप से उतरकर बंगले में चले गए।
रनवीर उन्हें दरवाजे पर ही मिल गया था.. उसी ने दीप के सारे परिवार से मृदुल और चिराग को मिलवाया।
जब मृदुल और चिराग वहां पहुंचे सभी अपने अपने कामों में व्यस्त थे। रनवीर ने उन्हें हॉल में बिठाया और सभी परिवार के सदस्यों को बुलाने चला गया।
उसी वक्त एक स्मार्ट सा दिखने वाला आदमी ट्रैक सूट पहने.. जिम बैग कंधे पर लटकाए कहीं जाने की जल्दी में बाहर निकला। मृदुल और चिराग ने जब उसे देखा तो वह काफी स्मार्ट दिख रहा था। उसकी हाइट 6 फुट के आसपास थी। काली आंखें, गोरा रंग, जिम करके बनाई हुई बॉडी, बियर्ड बढ़ी हुई थी जिससे हल्की सी व्हाइटनेस झलक रही थी, उसने अपने बालों की पोनी बनाई हुई थी। जिम के स्पेशल कपड़े, हाथ में फिटनेस बैंड पहने और गले में हेडफोन और कंधे पर जिमिंग बैग लटकाया हुआ था। स्पोर्ट्स शूज पहने हुए.. वह लगभग बाहर ही निकल गया था। लेकिन मृदुल और चिराग को देखते हुए वापस आकर हॉल में बैठ गया।
उसने मृदुल और चिराग को देखा तो वह वहीं रुक कर उनके पास जाते हुए कहा, "हेलो जेंटलमैन..!! मैं अखिल.. आप लोग..??" स्मार्ट से आदमी ने सोफे पर बैठते हुए पूछा।
मृदुल और चिराग उसे अपनी तरफ आता देख खड़े हो गए तो उसने बैठते हुए कहा, " अरे बैठिए.. बैठिए..! हैव अ सीट!! सॉरी आई कांट रिक्ग्नाइज़ यू।"
मृदुल जैसे ही उन्हें बताने वाला था के तभी रनवीर ने आते हुए कहा, "अंकल..!! ये इंस्पेक्टर मृदुल हैं और ये हैं सब इंस्पेक्टर चिराग..!! अनीता मिसिंग कंप्लेंट को यही दोनों इन्वेस्टिगेट कर रहे हैं।"
"ओह..!!" अखिल ने एक साँस छोड़ते हुए कहा।
"हमें कुछ सवाल करने हैं.. अगर आपको कोई प्रॉब्लम ना हो तो..!!" मृदुल ने कहा।
"नो.. नो.. कोई प्रॉब्लम नहीं है। पूछिये क्या पूछना है।" अखिल ने अपना बैग कंधे से उतारकर नीचे रखते हुए कहा।
"सर.. अनीता के बारे में क्या कहना है आपका..??" मृदुल ने अपने सवालों का सिलसिला शुरू किया।
"अनीता..!!" फिर एक लंबी साँस ली और आगे कहना शुरू किया।
"काफी डीसेंट बच्ची थी.. जब इस घर में आई थी।"
"थी..?? थी से क्या मतलब है आपका..!!" चिराग ने अखिल की बात पूरी होने से पहले ही टोकते हुए पूछा। उसकी इसी जल्दबाजी की आदत से मृदुल भी परेशान था.. मृदुल ने चिराग को घूरा।
"थी से मतलब.. जब दीप उससे शादी कर के घर लाया था.. तब वो एक सीधी साधी सी घरेलू लड़की थी।"
"फिर...!!" चिराग ने पूछा।
"फिर क्या इंस्पेक्टर.. फिर उसे पैसे और पावर की चमक धमक ने अंधा ही कर दिया था। किसी को कुछ समझती ही नहीं थी.. कुछ कहो तो घर में लड़ाई झगड़े होते थे तो हम लोगों ने कुछ कहना ही बंद दिया था।"
"ओह.. फिर आप लोगों ने क्या किया?? मेरा मतलब है कि दीप साहब का क्या रिएक्शन था इसपर?" मृदुल ने पूछा।
"क्या बोलता मेरा बच्चा..? उस लड़की ने तो उसकी जिंदगी ही खराब कर दी।" एक अधेड़ सी उम्र की औरत ने आते हुए कहा।
"आपकी तारीफ..?" मृदुल ने रनवीर से उस औरत की तरफ इशारा करते हुए पूछा।
"अंजू आंटी..! अखिल अंकल की वाइफ और दीप की मम्मी।" रनवीर ने कहा।
"ओके.. जी मैडम..!! बताइए.. क्या बोल रही थी आप..??" मृदुल ने उस औरत को ऊपर से नीचे तक देखते हुए पूछा।
दीप की मम्मी अंजू एक हाई प्रोफाइल लेडी थी जिसे पार्टीज, मेकअप, शॉपिंग, गॉसिप्स और क्लबिंग का शौक था। देखने में बहुत ज्यादा खूबसूरत तो नहीं थी बल्कि एक एवरेज सी औरत थी। पांच फुट लंबाई, गेहुंआ रंग, बॉब कट बाल, एक फ्लोरल प्रिंटेड टॉप के साथ स्कर्ट पहने, हेवी मेकअप और उसके साथ हील पहने सीढ़ियां उतरते हुए आई थी।
"यार..!! ये किस एंगल से दीप का बाप लगता है..?? इतना स्मार्ट और वेल मेनटेन्ड है कि उसका बड़ा भाई ही दिखता है। लड़की ढूंढने निकले तो कोई भी खुशी खुशी अपनी बेटी देने तैयार हो जाएगा। आई एम 100% श्योर कि दो - तीन गर्ल फ्रेंड्स तो होंगी ही और माँ को देखा इसकी मेकअप की दुकान लगती हैं। दोनों तो कहीं से भी पति पत्नी नहीं लगते।" चिराग ने मृदुल के कान में फुसफुसाते हुए कहा। इसपर मृदुल ने घूर कर देखते हुए उसे चुप रहने का इशारा किया।
"अरे.. मैंने कितना मना किया था दीप से कि छोटे घर की लड़कियां यही सब करती हैं.. पर उसने मेरी बात ही नहीं मानी। देखा अब क्या कर के गई है वो.. नाक ही कटवा दी सोसाइटी में हमारी। क्या कहूँगी मैं सबको कि मेरी बहु किसी के साथ भाग गई। मैं तो किटी में भी जाने लायक नहीं रही.. क्या क्या नहीं सुनाएंगे मुझे?" अंजू ने दिखावा करते हुए कहा। उस समय उनकी आँखों में मगरमच्छ के आंसू थे.. जो मृदुल को साफ समझ आ रहे थे।
"ओह माॅम…!! आपसे कितनी बार कहा है कि ऐसे लोगों के बारे में बात करके अपना टाइम मत वेस्ट किया करो पर आपने तो किसी की भी सुननी ही नहीं है।" एक खूबसूरत सी लड़की ने बाहर से आते हुए कहा।
लगभग 18 या 19 साल की वो लड़की बहुत ही ज्यादा खूबसूरत थी। दूध में एक चुटकी केसर घुली हो ऐसा गोरा रंग, तीखी नाक, बड़ी बड़ी काली आंखे, गुलाब की पंखुड़ियों से नाजुक होंठ, लंबाई भी आम लड़कियों से ज्यादा ही थी.. शायद जेनेटिक रीजन्स की वजह से.. सभी की काफी अच्छी हाइट थी परिवार में। लंबे बालों की पोनी बनाई हुई थी जो थोड़ी चिपकी हुई सी थी… शायद वाॅक पर गई थी इसीलिए ऐसा था। कपड़े अपने पापा की ही तरह जिमिंग वाले ही पहने हुए थे। फिटनेस बैंड, इयर बड्स, लेटेस्ट मोबाइल फोन हाथ में.. सब कुछ देखते हुए बिल्कुल अपने पापा की कार्बन कॉपी ही दिख रही थी।
चिराग तो उसे देखते ही बिल्कुल फ्लैट ही हो गया था। वो तो अब बिना एक भी शब्द बोले बस उसकी लड़की को ताड़ने में लगा हुआ था। जिसके कारण मृदुल ने थोड़ी राहत की साँस ली थी कि थोड़ी देर ही सही चिराग उसे काम पर फोकस तो करने देगा। वैसे चिराग भी स्मार्ट और हैंडसम था और साथ ही में मजाकिया भी... जो उसके वर्क प्रोफाइल के हिसाब से कभी कभी सूट नहीं करता था।
"सॉरी..!!" मृदुल ने सवाल पूछने के अंदाज में कहा।
"ये रिद्धि है.. मेरी बेटी..!!" मृदुल और चिराग को अंजु ने उस लड़की से इंट्रोड्यूस करवाया।
"हैलो मैम..!! हम बस कुछ सवालों के जवाब चाहते हैं आपसे.. अनीता जी के बारे में।" मृदुल ने कहा।
"सॉरी ऑफिसर..! मैं उस औरत के बारे में कोई भी बात नहीं करना चाहती। सो प्लीज.. डोंट माइंड! आपको जो भी कुछ जानना है आप माॅम, डैड, दादी, दादू या भाई से ही पूछे.. बस मुझे बख्श दे।" रिद्धि ने चिढ़ते हुए ज़वाब दिया और पैर पटकते हुए अपने कमरे में चली गई।
"सॉरी..!! बच्ची है..! वैसे भी अनीता ने इसे इतना परेशान किया था कि रिद्धि ने अनीता से बात करना ही बंद कर दिया था।" अंजू ने रिद्धि के किये पर पर्दा डालते हुए कहा।
"पूरी तीखी मिर्ची है..!!" चिराग ने मन ही मन सोचा।
"इट्स ओके..! अंजू जी.. हो जाता है। आप बाकी लोगों से मिलवा दीजिए.. हमें उनसे भी कुछ सवाल करने है फिर हमें निकलना भी है।" इंस्पेक्टर मृदुल ने उनकी बातों का मतलब समझते हुए कहा।
"आई विल ऑल्सो टेक याॅर लीव। मुझे भी अब निकालना चाहिए.. जिम के लिए मुझे लेट हो गया है।" अखिल ने इंस्पेक्टर मृदुल और सब इंस्पेक्टर चिराग से हाथ मिलाते हुए जाने की इजाज़त ली और अंजू को भी बाय बोलकर जल्दबाज़ी में बाहर निकल गए।
"उसके लिए आपको थोड़ा इंतजार करना होगा। मां अभी पूजा कर रही हैं और पापा अपने लाफ्टर क्लब के फ्रेंड्स के साथ बाहर गए हैं। दीप से आप लोग सवाल जवाब कर ही चुके होंगे। मेरा छोटा बेटा जीत अभी सो रहा है। आप रुकिए मैं उसे अभी उठा कर आती हूं।" ऐसा कहकर अंजू वहां से उठकर सीढ़ियों की तरफ चल दी।
"सानू.. सानू..!! चाय नाश्ता लगवाइए इंस्पेक्टर साहब के लिए।" बोलते हुए अंजू ने अपने सर्वेंट को आवाज दी।
"ओह साॅरी.. मैं आपसे पूछना ही भूल गई.. आप चाय लेंगे या कॉफी या फिर कुछ ठंडा।"
"नो..नो मैडम..! इट्स ओके!! हम कुछ भी नहीं लेंगे।" मृदुल ने जवाब दिया।
"सानू 2 कप चाय ले आइए।" कहकर अंजू सीढ़ियां चढ़कर ऊपर चली गई।
10 मिनट के बाद एक 20-22 साल की दुबली पतली सी लड़की हाथ में चाय की ट्रे पकड़े आ गई। उसने प्रॉपर यूनीफॉर्म पहनी हुई थी और वो काफी प्रोफेशनल दिख रही थी।
"नौकरों की भी यूनीफॉर्म है यहां..??" चिराग ने हैरान होकर मृदुल की तरफ देखते हुए पूछा।
"तू चुप नहीं रह सकता.. इतना बड़ा आदमी है.. ऑब्वियसली यूनीफॉर्म तो होगी ही।" मृदुल ने फुसफुसा कर जवाब दिया।
तब तक उस लड़की ने टेबल पर चाय की ट्रे रख दी थी। टी सेट काफी महंगा और इम्पोर्टेंड लग रहा था। लड़की ने चाय कप में डालकर उन्हें सर्व की।
"अनीता कैसी औरत थी..??" मृदुल ने चाय का कप हाथ में पकड़ते हुए सवाल किया।
"मैडम.. अनीता मैडम..! उनका कुछ पता नहीं। मुझे यहां काम करते ज्यादा टाइम नहीं हुआ है.. एक ही साल हुआ है। जितना मैंने उन्हें देखा उस हिसाब से बहुत ही झगड़ालु औरत थी। हर टाइम चीखना चिल्लाना, बात बात पर चीजें फेंकना और किसी की भी इज़्ज़त नहीं करना ही उनकी आदतें थी। उनके कमरे में किसी को भी जाने की परमिशन नहीं थी.. यहाँ तक कि दीप सर को भी नहीं। अगर कभी गलती से भी कोई चला जाता था तो जो भी कुछ हाथ में आए उठाकर मार देती थी।" सानू ने बताया।
"और भी कुछ होता था क्या..??" इस बार चिराग ने गंभीरता से जवाब दिया।
"पता नहीं सर.. ज्यादा बात तो वो करती ही नहीं थी। हां कभी-कभी कुछ बड़बड़ाते हुए जरूर देखा था। घर का कोई भी व्यक्ति अगर उन्हें कुछ पूछ ले या कुछ बोल दे तो उन्हें उल्टा-पुल्टा सुनने को ही मिलता था.. इसलिए कोई भी कुछ भी नहीं बोलता था। एक बार घर में गेस्ट आने वाले थे तो दादी ने उन्हें ठीक से रेडी होने के लिए बोला था.. पर उन्होंने तो पूरा घर ही सर पर उठा लिया था। यहाँ तक कि मेहमानों को भी इंसल्ट कर के भगा दिया था। दीप सर के बिजनेस असोसिएट्स थे.. दीप सर को उनके कारण बहुत बड़ा लॉस हुआ था।" सानू ने एक-एक कर के धमाकेदार खुलासे किए।
"ठीक है.. तुम जा सकती हो।" मृदुल ने कुछ सोचते हुए सानू को जाने का इशारा करके कहा।
"इस सब का क्या मतलब हुआ..?? कौन सच बोल रहा है.. ये लड़की या बाहर का गार्ड और पान वाला..??" चिराग ने कहा।
"मैंने कहा था ना मैटर जितना सरल दिख रहा है उतना है नहीं। कुछ तो बड़ी गड़बड़ है??" मृदुल का दिमाग सानू की बात सुनकर ही घूम गया था। उसने मन ही मन बड़बड़ाते हुए चिराग को ज़वाब दिया।
"क्या बोल रहा हैं भाई..?" चिराग ने कुछ नहीं समझने के अंदाज़ में पूछा।
"तू चुप कर और वो देख!!" मृदुल ने सीढियों की तरफ इशारा करते हुए कहा।
सीढ़ियों से एक लड़का उतरकर आ रहा था। जो कि बिल्कुल दीप जैसा ही लग रहा था। कोई भी अगर पहली बार उसे मिले तो दीप में और उसमे कोई भी डिफ्रेंस नहीं बता सकता था। मृदुल और चिराग भी उसे दीप ही समझ रहे थे।
"तो आप ही हैं..!! इंस्पेक्टर मृदुल और सब इंस्पेक्टर चिराग.. जो अनीता को ढूंढने वाले हैं।" आने वाले लड़के ने पूछा।
"बड़ी कमजोर याददाश्त है आपकी दीप साहब..!!" चिराग ने टोंट मारते हुए कहा।
"हा.. हा.. हा.. हा..!!! यार आप लोगों को मैं कौन से एंगल से दीप दिखता हूं। यार मैं उससे तो ज्यादा ही हैंडसम हूँ.. हैं ना..!!" उस लड़के ने अपनी ही तारीफ करते हुए कहा।
मृदुल और चिराग दोनों ही कन्फ्यूज्ड से उस लड़के को देख रहे थे। उन दोनों को कंफ्यूजन्ड देखकर उस लड़के को जोरदार हंसी आ गई और वो ठहाका लगाकर हंस पड़ा।
"तुम मानोगे नहीं ना जीत..!!" अंजु ने पीछे से कहा।
अंजु की आवाज़ आते ही सभी पीछे की तरफ घूम गए।
"क्या माँ.. आप भी..!! कितना मजा आ रहा था.. इन्हें भी कंफ्यूजन हो गया था कि मैं भाई हूं।" जीत ने एक्साइटेड होकर कहा।
"हाँ.. हाँ..!! तुम्हें तो बहाना चाहिए मज़ाक करने का.. तो तुमने इन्हें ही परेशान करना शुरू कर दिया।" अंजु ने जीत के कान खींचते हुए कहा।
"सॉरी इंस्पेक्टर..!! इसकी आदत है मजाक करने की।" अंजु ने कहा।
"कोई बात नहीं मैडम..! हमें बस थोड़े सवालों के जवाब दे दो.. बाकी मज़ाक तो हम भी अच्छा ही कर सकते हैं।" चिराग ने उन्हीं की टोन में ज़वाब दिया।
"तो मिस्टर जीत..! अनीता के बारे में क्या कहना है आपका..???" मृदुल ने पूछा।
"क्या जानना है अनीता के बारे में..?" जीत ने संजीदा होते हुए पूछा।
"सबकुछ जो भी आप बता सकों.. जैसे उनका स्वभाव, आदतें, किससे मिलती थी, मायके में कौन कौन था, सहेलियाँ कौन कौन थी?? बस फ़िलहाल इतना ही बता दो.. बाकी बाद में जब जरूरत होगी पूछ लेंगे।" चिराग ने कहा।
"देखा जाए तो अनीता एक शांत और सुलझी हुई लड़की थी.. सबको खुश रखना और खुद भी खिलखिलाते रहना उसकी आदत थी। जब से घर में आई थी तभी से खुशियां आ गई थी।" जीत ने बहुत ही सीरियसली ज़वाब दिया।
"फिर..??" चिराग ने पूछा।
जीत ने एक लंबी साँस ली और आगे बोलना शुरू किया, "फिर क्या इंस्पेक्टर..!! उसके आने के बाद घर जिंदा महसूस होता था पर कुछ दिनों के बाद वो ही जिंदा नहीं रही।"
"जिन्दा नहीं रही..?? मतलब क्या है आपका आप लोगों ने तो मिसिंग कंप्लेंट लिखवाई है ना और आप बोल रहे हैं कि जिंदा नहीं रही..?" चिराग ने एकदम से चौंक कर पूछा।
"जिंदा नहीं रही से मेरा मतलब था.. उसका स्वभाव एकदम से बदल गया था। शांत रहने लगी थी.. ना किसी से बोलना, ना ही किसी बात का ज़वाब देना और तो और उसकी हंसी तक कहीं खो गई थी।" जीत ने अपनी बात का मतलब समझाते हुए कहा।
"ऐसा क्या हुआ था कि स्वभाव में इतना चेंज आ गया था??" चिराग ने प्रश्न किया।
"कुछ नहीं इंस्पेक्टर.. यह तो यहां रहता ही नहीं है.. इसे घर पर रहना पसंद ही नहीं है। अधिकतर वर्ल्ड टूर पर ही रहता है.. तो इसे कैसे पता होगा किस का स्वभाव कैसा था?? वैसे हमारे फाॅरेन कंट्रीज् के बिजनेस यही संभालता है.. इसलिए इंडिया में कम ही रहता है। अनीता देखने में ही बहुत सीधी-सादी सी लगती थी.. जो एक बार मिलता था वही उसके बारे में ऐसा कुछ सोचता था.. बाकी जो दो तीन बार मिल ले उसका वहम खत्म हो जाता था।" अंजू ने मुंह बनाते हुए कहा।
अंजू की बात सुनकर मृदुल और चिराग दोनों की नजर जीत पर गई। उसके चेहरे के एक्सप्रेशन एकदम से बिगड़ गए थे जैसे किसी बात का उसे बुरा लगा हो। वो एकदम से उठ खड़ा हुआ और बोला, "ओके जेंटलमैन..! मुझे कहीं जरूरी काम से जाना है तो मैं निकलता हूं। अगर कभी दुबारा मिले तो फिर बाकी बातें होंगी।"
इतना कहकर जीत तेज कदमों से घर के बाहर निकल गया। मृदुल और चिराग दोनों एक दूसरे की शक्लें देख रहे थे। कुछ तो ऐसा था जो ठीक नहीं था जीत का ऐसे एकदम से चेंज होने वाला बिहेवियर उन लोगों को परेशान कर रहा था।
"ठीक है मैडम.. हमें अनीता जी का कमरा दिखा दीजिए। हमें वहां भी कुछ छानबीन करनी है.. अगर आपको कोई तकलीफ ना हो तो।" मृदुल ने टॉपिक चेंज करने की गरज से कहा।
"नहीं.. नहीं.. मुझे तकलीफ क्यों होगी। आइए मैं आपको ले चलती हूं।" अंजू ने कहा और आगे आगे चल दी।
वो लोग सीढ़ियां चढ़कर एक कमरे में पहुंच गए। कमरा बहुत ही बड़ा था लगभग 20 बाय 20 का हॉल जैसा ही था। कमरे की एक साइड की दीवार पर लेदर की वार्डरोब बनी हुई थी, दूसरी तरफ एक बड़ा सा किंग साइज बेड लगा हुआ था, उसके एक साइड में एक खूबसूरत सोफा सेट रखा था, मिरर सेंटर टेबल जो कि सोफा, बेड और रूम के इंटिरियर्स से मेल खाती हुई थी। क्लासिक किंग्स साइज ड्रेसिंग टेबल बेड के ही बगल में रखी हुई थी। ड्रेसिंग टेबल पर बहुत सारे कॉस्मेटिक आइटम्स रखे हुए थे।
मृदुल और चिराग ने अपने-अपने ग्लव्ज पहनें और एक एक अलमारी खोल कर देखने लगे। उस रूम में पांच वॉडरोब्स बनी हुई थी.. जिनमें से एक में दीप के सूट रखे गए थे, दूसरे में दीप के पेंट शर्ट, तीसरे में शूज और चौथे में दीप की टॉयलेट्रीज थी मतलब उसके अंडर गारमेंट्स, टाॅवेल्स, साॅक्स, रूमाल इत्यादि। पांचवी अलमारी लगभग खाली ही थी.. थोड़ा कुछ जेंट्स सामान उसमें रखा हुआ था।
चिराग और मृदुल दोनों ही यह देखकर थोड़े हैरान थे कि सारी अलमारियों में सिर्फ और सिर्फ दीप का ही सामान रखा हुआ था। किसी और के सामान के लिए वहां पर कोई जगह ही नहीं थी। लग ही नहीं रहा था कि कभी वहां पर किसी का कोई समान रखा भी होगा। उन्हें यह देखकर थोड़ा सा आश्चर्य हुआ की एक हस्बैंड वाइफ के कमरे में वाइफ के सामान के लिए कोई जगह ही नहीं थी। उन्होंने सावधानी से अलमारियां बंद की और ड्रेसिंग टेबल की तरफ चले गए।
ड्रेसिंग टेबल पर भी जितने भी कॉस्मेटिक प्रोडक्ट रखे थे.. सभी के सभी इंटरनेशनल और मेन्स यूज के थे.. मतलब सारे के सारे प्रोडक्ट दीप के ही थे। कोई भी लेडीस यूज का प्रोडक्ट उस ड्रेसिंग टेबल पर मौजूद नहीं था। आफ्टर शेव लोशन, परफ्यूम, वॉचेस, स्किन क्रीम और भी न जाने क्या क्या कॉस्मेटिक प्रोडक्ट ड्रेसिंग टेबल पर पड़े हुए थे।
इस बार भी उन्हें थोड़ा सा अचंभा हुआ कि उस कमरे में किसी भी औरत के रहने का कोई भी निशान नहीं था.. एक भी सिंगल निशान। ना अलमारी में जगह, ना वॉडरोब में कपड़े, ना ही ड्रेसिंग टेबल पर कोई कॉस्मेटिक।
मृदुल तो यह सब कुछ देख कर कंफ्यूजन्ड सा लग रहा था.. उसे कुछ भी समझ ही नहीं आ रहा था।
चिराग़ ने मृदुल के कान में कहा, "यार.. एक बात बता.. ऐसा कैसे हो सकता है कि कोई औरत किसी रूम में रहे और उसका कुछ भी निशान नहीं मिले। यार.. मेरी एक जीएफ थी जो कुछ दिन मेरे फ्लैट पर रहने आई थी। बाय गॉड..!! पूरे फ्लैट पर कब्जा कर लिया था। हर जगह बस उसी का सामान, उसी के कपड़े दिखाई देते थे। लगता ही नहीं था कि कभी वह मेरा कमरा रहा होगा।"
"तू कुछ देर चुप नहीं रह सकता.. तुझे पता है कि कितना सेंसिटिव मैटर है। इन लोगों का कहना है के दीप की बीवी अपने प्रेमी के साथ भाग गई है और यहां पर उसके होने के निशान ही नहीं है। कोई इस बात को क्या समझेगा..??"
उन्हें ऐसे धीरे-धीरे बातें करते देख अंजू ने पूछा, "कुछ प्रॉब्लम है इंस्पेक्टर..!!"
"नहीं.. नहीं.. हम तो सिर्फ यह देख रहे थे कि यहां पर अनीता जी का कुछ भी सामान नहीं है?"
चिराग ने मुँहफट के जैसे सीधा ही पूछ लिया।
"होगा कैसे.. सारा सामान तो कलमुंही लेकर भाग गई। एक एक चीज लेकर गई है.. कितनी सारी तो डायमंड ज्वेलरी थी, इतने हैवी ब्रांडेड कपड़े। पर नहीं.. कहते हैं ना कुत्ते को घी हजम नहीं होता। इतने प्यार से, इतनी इज्जत से सर पर बिठा कर रखा था पर नहीं उसे तो यहां वहां मुंह मारने की आदत पड़ी हुई थी।" ऐसा कहकर अंजू भुनभुनाई और बड़बड़ाते हुए बाहर निकल गई।
मृदुल ने चिराग से कहा, "एक काम कर.. किसी फॉरेंसिक वाले को बुलाकर यहां से फिंगरप्रिंट उठावाओ। हो सकता है कोई आईडिया मिल जाए.. हो सकता है वह कोई लुटेरी दुल्हन टाइप हो.. जिसका पुलिस रिकॉर्ड में नाम हो। ऐसा होता है तो फिंगर प्रिंट मैच कर सकते है।"
इतना सुनते ही चिराग ने एक साइड जाकर एक कॉल लगाया और किसी से कुछ बात करके फोन रख दिया।
मृदुल के पास आकर कहा, "बोल दिया है.. वो आधा घंटे में यहां पहुंच जाएंगे।"
"ठीक है..!! चलो तब तक हम बाकी घरवालों और चौकीदार वगैरह से भी एक बार बात कर लेते है।"
ऐसा कह कर वह दोनों रूम से बाहर निकल गए।
बाहर हाल में ही एक बूढ़ी औरत जिसनें चंदेरी की ऑफ व्हाइट कलर की जरी बार्डर की साड़ी पहनी हुई थी। साथ में कुछ पर्ल ज्वेलरी भी पहनी हुई थी। देखने में बहुत ही ज्यादा रौबदार दिख रही थी। जैसे ही उन्होंने चिराग और मृदुल को सीढ़ियां उतरते देखा तो उन्हें तुरंत टोक दिया, "कौन हो तुम..??? और यहां पूरे घर में कैसे घूम रहे हो?"
तभी अंजू ने आकर कहा, "मां यह इंस्पेक्टर मृदुल और चिराग है.. यह दोनों अनीता के मिसिंग केस पर काम कर रहे हैं.. इसलिए कुछ पूछताछ और जांच पड़ताल करने आए हैं।"
"क्या जरूरत है उसको ढूंढने की..? और किस से पूछ कर तुम लोगों ने उसकी मिसिंग कंप्लेंट फाइल की थी..? तुम लोगों को बिल्कुल भी समझ नहीं आता है क्या??" उन्होंने अंजू को लगभग डांटते हुए कहा।
"सॉरी मां..!! हम सब जब आश्रम गए थे.. तभी यह सब हुआ था और दीप ने उसकी कंप्लेंट कर दी थी।" अंजू ने लगभग मिमीयाते हुए कहा।
"वह सब तो ठीक है.. पर अब इतना सब होने के बाद भी उस औरत को ढूंढ ही क्यों रहे हों..?" औरत बड़बड़ाई।
मृदुल ने अंजू से पूछा, "यह आंटी कौन है..??"
"यह अवंतिका जी हैं..! मेरी सासू मां और दीप की दादी।" अंजू ने ज़वाब दिया।
"सॉरी आंटी..!! हमारी वजह से आपको तकलीफ हुई.. पर यह हमारी ड्यूटी है.. इस के लिए प्लीज माफ कीजिएगा।" मृदुल ने बहुत ही शांति से उन्हें कहा।
"आंटी क्या हम अनीता जी के बारे में आपसे कुछ जान सकते हैं..?" चिराग ने मृदुल की देखादेखी बहुत ही विनम्रता से पूछा।
अनीता का नाम आते ही अवंतिका फिर से भड़क गई।
"नहीं मुझे उस औरत के बारे में कोई बात नहीं करनी है। जमीन से उठाकर मेरे पोते ने उसे आसमान पर बिठा दिया था पर उसे आसमान पर बैठना रास नहीं आया.. इसीलिए इस घर को छोड़कर अपने प्रेमी के साथ भाग गई।"
"आप ऐसा कैसे कह सकती हैं कि वह अपने प्रेमी के साथ ही भागी है..?" चिराग ने भी बिना कुछ सोचे समझे पूछा।
इस पर अवंतिका जी ने चिराग को घूर कर देखा जैसे आंखों ही आंखों से चिराग का कत्ल कर देंगी। उनके ऐसे देखते ही चिराग हड़बड़ा गया और इधर उधर देखने लगा।
"और क्या हो सकता है.. इतना अच्छा घर परिवार, पैसे की कोई कमी नहीं, कोई कुछ कहता नहीं था तो सर पर चढ़ी हुई थी। किसी को कुछ गिनती ही नहीं थी। भागेगी ही और क्या करेगी..!!" ऐसा बोलकर वह बहुत ही ज्यादा गुस्से में भर गई।
"मुझे उस औरत के बारे में कोई भी बात नहीं करनी है। आपको जो भी कुछ जानना पूछना है आप अंजू या अखिल से जान लीजिए। आप चाहो तो रिद्धि, दीप, जीत किसी से भी पूछताछ कर सकते हो पर अनीता के बारे में मुझसे बात करने बिल्कुल भी मत आना।" उन्होंने धमकाते हुए कहा।
उनके इतना बोलते ही चिराग और मृदुल उठ खड़े हुए और कहा, "ओके मैडम..! अब हमें निकलना चाहिए!!"
चिराग ने मृदुल के कान में कहा, "यार अभी तो फॉरेंसिक वाला आया ही नहीं है.. ऐसे में जाना ठीक होगा..??"
"तू चल यार..!! वो आकर अपना काम कर लेगा।" मृदुल ने कहा।
ऐसा कहते हुए मृदुल चिराग को लगभग खींचते हुए उस बंगले के बाहर ले गया। बाहर निकलने पर उस बंगले के चौकीदार से बात करने के लिए रुक गए।
"तुम यहाँ कितने टाइम से काम कर रहे हों..??" मृदुल ने चौकीदार के पास रखी कुर्सी पर बैठते हुए पूछा।
चौकीदार जो मृदुल के उसके पास ऐसे बैठने से हड़बड़ा गया था.. घबराते हुए बोला, "म...म.. मालिक 5 साल हो गए हैं इहां..!! दिन और रात यहीं रहत है.. पीछे ही कमरा है ऊहां ही रहत है साहेब। रात को एक्को और आदमी आवत है.. जो सुबह होते होते तो जाने की तैयारी में ही रहत है।"
"अच्छा.. एक बात बताओ..??" मृदुल ने चौकीदार से और ज्यादा जानकारी निकालने की गरज से पूछा।
"पूछिये मालिक..!!" चौकीदार ने हाथ जोड़ते हुए कहा।
"अनीता कैसी औरत थी..?? तुमने आखिरी बार उसे बाहर जाते कब देखा था??" मृदुल ने बात घुमाते हुए ज़वाब दिया।
"साहब किसी को भी ना बताये और मेरा नाम नहीं बीच में आए तो कुछ बता सकते हैं। साहब किसी को भी पता चल गया तो साहब हमारे छोटे छोटे बच्चे हैं गाँव में.. बाप की आखिरी बार शक्ल तक देखने नसीब नहीं होगी उन्हें।" चौकीदार ने डरते हुए कहा।
क्रमशः....
Shnaya
06-May-2022 04:44 PM
👏👌🙏🏻
Reply
Aalhadini
07-May-2022 12:29 AM
🙏🙏
Reply
Rohan Nanda
30-Apr-2022 06:28 PM
Very nicely written
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Aalhadini
01-May-2022 01:25 AM
Thanks 😊 🙏
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Aalhadini
05-May-2022 12:37 AM
Thanks sir 🙏
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Shrishti pandey
28-Apr-2022 09:26 AM
Very nice
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